परिस्थिक तंत्र के घटक
(COMPONENTS OF ECOSYSTEM)
परिस्तिथिक तंत्र के दो मुख्य भाग होते
हैं-जीवीत जीवधारी तथा निर्जीव वातावरण । समस्त जीवधारी पारिस्थितिक तंत्र का जैविक
घटक तथा निर्जीव वातावरण इसका अजैविक घटक होता है।
(A)अजैविक घटक (Abiotic
Components)
ओडम(Odum)1971 ने किसी पारिस्थितिक तंत्र के अजैविक
घटको को तीन भागों में बता है-
(1)अकार्बनिक पोषक (Ignorganic
Nutrients):-
इसमे जल , कैल्सियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम,
जैसे- खनिज, फास्फोरस, नाइट्रोजन, सल्फर जैसे लवण तथा ऑक्सीजन,कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रोजन
जैसी गैसे शामिल हैं। ये सब हरे पौधे के पोषक तत्व अथवा कच्ची सामग्री हैं।
(2)कार्बनिक यौगिक (Organic
Compounds):-
इसमे मृत पौधों व जन्तुओं से उतपन्न
प्रोटीन, शर्करा, लिपिड जैसे कार्बनिक यौगिक और इनके अपघटन से उतपन्न माध्यमिक या अंतिम
उत्पाद , जैसे- यूरिया तथा ह्युमस सम्मिलित हैं।
(3)जलवायु (Climetic Factors) या भौतिक कारक:-
वातावरण के भौतिक भाग में जलवायवीय कारक, उदाहरण: ताप, वायु, नमी
तथा प्रकाश आते हैं। सौर ऊर्जा मुख्य भौतिक घटक हैं।
(B) जैविक घटक (Biotic
Components)
सभी जीवों को पोषण , वृद्धि तथा जनन
के लिए खाया पदार्थो की जरूरत होती है। इससे जीवन के लिये ऊर्जा मिलती हैं। सबका ऊर्जा
स्रोत सूर्य हैं ,इन्हें निम्न प्रकारों में विभक्त किया गया हैं।
1. उत्पादक या स्वपोषी (Autotrophhs)
ये प्रकाश संष्लेषी पौधे हैं, कुछ प्रकाश संष्लेषी जीवाणु भी
शामिल हैं। ये सूर्य की सहायता से अपने खाद्य पदार्थ स्वयं बनाते हैं। इस प्रक्रिया
में ऑक्सीजन, जो जंतु को जीवित रखने के लिए जरूरी हैं , विमुक्त हो जाती हैं तथा जो
कार्बनिक पदार्थ बनते हैं, उनमे सूर्या की ऊर्जा संचित होती हैं। प्रकाशसंष्लेषी पौधों
को उत्पादक कहते हैं।
(2)उपभोक्ता या परपोषित(Heterotrophhs)
इनमे पर्णहरिम नही होता है।यह अपना
आहार हरे पौधो से लेते है । इन्हें उपभोक्ता कहते है । इनमे जंतु, कवक तथा जीवाणु सम्मिलित
है। निम्न पोषण रीतियों में विभक्त किया जाता
है-
(a) शाकाहारी (Herbivorous)
ऐसे जन्तु तथा परजीवी पौधे जो अपना
खाद्य पदार्थ सीधे ही प्रकाश संष्लेषी पौधे से प्राप्त करते है ।इन्हें शाकाहारी अथवा
प्राथमिक उपभोक्ता कहते हैं।
उदाहरण -टिड्डा,तितलियाँ, मधुमक्खियां,
तोता, खरगोश ,बकरी ,गाय , हिरण , हाथी आदि
इस संवर्ग में आते है।
(b) मांसाहारी(Carnivorous)
ये ऐसे जन्तु है जो शाकाहारी जन्तुओ
को कहते है । इन्हें द्वियीयक उपभोक्ता भी कहते है।
उदाहरण- झींगुर, भृंग, छोटी मछलियाँ,
मेंढक, छिपकली,साँप तथा छोटे पक्षियां आदि।
(c) सर्वोच्च मंशाहरी (Omnivorous)
ये ऐसे जेएनयू है ,जिनको दूसरे जन्तु मारकर नही खाते। इन्हें
तृतीयक उपभोक्ता कहते है ।
उदाहरण- शार्क मछलियाँ ,भालू, मगरमच्छ
, चिल, उल्लू तथा बाज, शेर आदि।
(3) अपघटक(Decomposers)
ये वे जीव है , जो विभिन्न कार्बनिक पदार्थो को उनके अवयवो में
अपघटित करते है। इस प्रकार भोजन , जो ऐसे प्राथमिक रूप में उत्पादकों ने संचित किया
या अन्य उपभोक्ताओं ने प्रयोग किया , वातावरण में वापस लौटने का कार्य अपघटक ही करते
है।
उदाहरण- मृतोपजीवी(Saprophytic),
कवक (Fungi) तथा जीवाणु (Bacteria) इत्यादि है।
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