मरुस्थलीय परिस्थितिक तंत्र(Desert Ecosystem)
मरुस्थलीय पारिस्थितिक तंत्र
(Desert Ecosystem)
पृथ्वी के ऐसे भू-भाग जहां पर औसत वार्षिक
वर्षा 25 से.मि. से कम होती है वो मरुस्थल के अंतर्गत सम्मिलित
है ऐसे स्थानों का तापक्रम अधिक होता है तथा यहा पानी की कमी होती है, अतः मरुस्थलीय स्थानों पर पेड़-पौधों एवं जंतुओ की संख्या
कम होती है। मरुस्थलीय पारिस्थितिक तंत्र में निम्न लिखित तीन घटक होते है-
(1)अजैविक घटक (Abiotic
Components)
(a) अकार्बनिक घटक - मृदा , जल (कम मात्रा
में ), वायु (तेज प्रवाह), प्रकाश(तीव्र), खनिज तत्व , गैसें जैसें- CO2,
N2, K2 आदि ।
(b) कार्बनिक घटक - कार्बोहईड्रेट्स, प्रोटीन्स,
लिपिड्स, एमिनो, अम्ल आदि।
(2)जैविक घटक(Biotic
Components)
(a) उत्पाद :- इसके अंतर्गत घनी झाड़ियाँ, कुछ प्रकार के घास तथा
कुछ हरे पौधे जैसे- नागफनी, बाबुल, कंटीले पौधे आदि पाये जाते है।
(b) उपभोक्ता :- मरुस्त्थलीय
पारिस्थितिक तंत्र में भी तीन प्रकार के उपभोक्ता पाए जााते हैं -
(1)प्राथमिक उपभोक्ता(Primary
Consumers)
सभी उपभोक्ता जो शाकाहारी(Herbivorus) होते हैं , तथा अपने भोजन हेतु उत्पादकों
पर निर्भर होते है । प्राथमिक उपभोक्ता कहलाते हैं।
उदाहरण - कीड़े- मकोड़े, गाय, बैल, भैंस,
भेंड़, बकरियां, घोड़े, गधे ,चूहे, हिरण आदि।
(2)द्वितीयक उपभोक्ता(Secondry
Consumers)
इसके अंतर्गत घास के मैदान में उपस्थित
वे सभी मांसाहारी जन्तु आते हैं जो शाकाहारी जन्तुओ का शिकार करते हैं उनका मांस खाते
गई। उदाहरण - साँप, भेड़िया, लकड़बग्घा, कौआ
आदि ।
(3)तृतीयक उपभोक्ता (Tertiary
Consumers)
वो जन्तु जो अपना भोजन हेतु द्वितीयक
उपभोक्ताओं पर आश्रित है , तथा उनका शिकार
करके अपना भरण पोषण करते हैं। जिन्हें सर्वोच्च मांसाहारी (Top
Carnivorous) जन्तु भी कहते है।
उदाहरण - बाझ, सिंह, शेर, चिता आदि।
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